पग पायल पहन के पधांरीं हैं।
नकबेसर दीप स्तम्भ बनें...।
नीरव रातों को पथ दिखाती है।।
हे भ्रमर भावनी पार्वती....।
शैल पुत्री माँ कहलाती है ।।
हे खप्पर धारणी काली तू ।
माते, लक्ष्मी -सरस्वती महतारी हैं।।
तेरी पुत्री तुझ से गुहार करें ।
क्यों कलियां मसली जाती है।।
नव नव दुर्गा हे कल्याणी..... ।
पशु नर मर्दनी कहलाती है।।
सारे दूर करो माँ भव बाधा।
तू ही तो जीवन दात्री है।।
करुँ दीपशिखा ले आरती मैं।
माँ तू अंखड ज्योति रुद्राणी हैं।।
तुम रह कर धरा पर देखो ।
अब, मनुष्य में मनुष्यता नहीं आती है।।
माँ जगत जननी हे पूजिता।
क्यों न समय पे शक्ति दिखाती है।।
ज्योति नारायण || काव्य-मंजरी
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