बुधवार, 16 दिसंबर 2020

पापा- शिक्षा तिवारी || काव्य मंजरी



दस्तक हम देते हैं दुनिया में और आंखें किसी और की चमक जाती हैं 

कदम हमारे चलने लगते हैं और ख्वाहिशें किसी और की बढ़ जाती है

होंठ अपने मुस्कुरा देते हैं और दिल किसी और का खुशियों में खो जाता है

नीर अपने नैना बहा देते हैं और गला किसी और का दर्द में सो जाता है

समस्याओं को पिरो देते हैं जो समाधान के धागों में

संस्कारों को बो देते हैं जो हमारे दिलों के बागों में

पापा कहती है दुनिया उन्हें जिनकी सिर्फ परी होने पर हमें गर्व सा हो जाता है

पर दोस्तों जब वही परी अपने पापा का गुरूर बन जाती तो उनके लिए भी यही जीवन स्वर्ग सा हो जाता है।

-शिक्षा तिवारी  || काव्य मंजरी 


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