नवीन कुमार तिवारी , भिलाई
कलमकार को मंच पर,वाह-वाह दरकार ।
घर पर भूखे रह लिये,पूछे कब सरकार ।।०१।।
----
राजाश्रय की आस में,दौड़े रचनाकार ।
सत्ता चम्मच खोजती,जूते चमके सार ।।०२ ।।
------
नवीन || काव्य-मंजरी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें