नवीन कुमार तिवारी , भिलाई
कलमकार को
मंच पर,वाह-वाह दरकार ।
घर पर भूखे
रह लिये,पूछे कब सरकार ।।०१।।
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राजाश्रय की
आस में,दौड़े रचनाकार ।
सत्ता
चम्मच खोजती,जूते चमके सार ।।०२ ।।
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नवीन || काव्य-मंजरी
नवीन कुमार तिवारी , भिलाई
कलमकार को
मंच पर,वाह-वाह दरकार ।
घर पर भूखे
रह लिये,पूछे कब सरकार ।।०१।।
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राजाश्रय की
आस में,दौड़े रचनाकार ।
सत्ता
चम्मच खोजती,जूते चमके सार ।।०२ ।।
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नवीन || काव्य-मंजरी
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