सबला है अबला नहीं, नारी जग की शान।
मीरा, राधा, गार्गी, वह रजिया सुल्तान।।
नारी के सम्मान में ,नहीं सिर्फ जयगान।
ज्योति नारायण |
दोयम दर्जे की नहीं, है इसकी पहचान।।
कलम-कटारी-बेलना, है यह स्वर्ण-विहान।
जन्म विश्व को दे रही, यह ईश्वर वरदान।।
इससे जीवन सुलभ है, यह सुख का है धाम।
धरती जैसा धैर्य है, नभ सा है अभिमान।।
दोनों कुल है तारती, कर शिव सा विषपान।
देवी है यह प्रीति की, ममता की है खान।।
ज्योति नारायण || काव्य मंजरी
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