माँ शारदे वंदना स्त्रोतम्
समग्र-तत्त्व -दर्शनीम्,
विमुक्ति-मार्ग-घोषणीम्
कषाय-मोह-ध्वंसनीम्
त्वान्नमामि शारदे।। [1]
त्रिलोक-जन-पूजिताम्
पाखी |
भवाब्धि-नीर-शोषिकाम्।
मोहांधकारनाशिकां
त्वान्नमामि शारदे।। [2]
विमोह - शैल - त्रोटिता,
विकास - ज्ञानस्य दा।
तथा च मार्गदर्शिता
त्वन्नमामि शारदे।।3।।
स्याद्वाद-व्याप्नीं
कर्म-चक्र-मर्दनीं।।
एकांतवाद-हारणीं
त्वान्नमामि शारदे।। [4]
षटद्रव्यभाषिकाम् ,
तत्वनव-प्रकाशिकां।
ज्ञानज्योतिदायनीम्
त्वान्नमामि शारदे।। [5]
हंसस्कंधसमारूढ़ां,
वीणापुस्तकधारिणीम्
विदुषीं मातृरुपाञ्च
त्वान्नमामि शारदे।। [6]
-मनोरमा जैन 'पाखी '
अणुडाक-manoramajain43718@ gmail.com
शुक्रिया अक्षरवाणी
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