नहा रहे हैं जन-जन सब जब परिचय की गंगा में
मन करता धो डालूं कर अपने बहती गंगा में।
निस्पृह रुईपुत्र हूँ, तीलियों से मित्रता मेरी
अनल-दहन से बचा रहता यही विचित्रता मेरी।
मस्तिष्क-हांडी में विचार-दही जमा लेता नित्य
फिरा मधानी भावों की यूँ घी बना लेता नित्य।
शब्दों की सेंक रोटियां मन की भूख मिटाता हूँ
मक्खन रोटी जैसी कविता सभी को खिलाता हूँ।
लांघ जाता उष्णता सीमा कदा यह कल्पित तवा
दही पात्र को लग जाती हैं कभी सर्द-गर्म हवा।
जल जाती हैं कविता की रोटी कवि मन जल जाता
कितना भी मथ लूं उस दही मक्खन नहीं आ पाता।
जली रोटी, अजमी दही, अर्ध क्षुदा, परिचय मेरा
संघर्ष-पथ का पथिक मैं, गौरव है अक्षय मेरा।
नांम रमेश चन्द्र, विनोदी तखल्लुस यानी pen name है
सभी रमेश विनोदी कहते है।
जन्म 1 अगस्त 1970
ग्राम पड़ाना, जिला जींद, हरियाणा
पिता का नाम श्री रुलदू राम,
माता मेरी स्वर्गीय चमेली देवी
12 वी तक पढ़ कर औधोगिक प्रशिक्षण प्राप्त कर रेलवे में वरिष्ठ सरकारी लौहार हूँ ,
यानी कि सीनियर टैक्निशिन के पद पर रेल कोच फैक्ट्री कपूरथला पंजाब में कार्यरत हूँ।
हॉबी बहुत सारी है:-
पेंटिंग बहुत की छोड़ दी।
बेंजो वायलिन खूब बजाया अब छोड़ दिया।
मैजिक कला सीखी बहुत समय दिया इस विधा को इंडिया गोट टेलेंट तक और बहुत सारे शोज़ किये अब यह कला भी लगभग छूटने की कगार पर है।
जम कर थिएटर किया 20 साल एक्टिंग की फिर 5 साल निर्देशन अभी इसी वर्ष किसी योग्य के हाथ ममे बागडोर देकर निर्देशन को त्याग दिया है सहयोग में अवश्य शामिल हूँ।
एक बार सर्कस देखकर juggling और clowning भी सीखी अकेले ही घर मे। फिर लोगो को दिखाकर खूब वाह वाही लूटी
दुसरो को आश्चर्यचकित करने में मुझे बहुत आनंद आता है
रेलवे सांस्कृतिक सभा के कोषाध्यक्ष के पद को अभी तक पकड़े हूँ।
अपनी सब अच्छी अच्छी फ़ोटो पोस्ट करता हूँ ।
कविता और कहानियां लिखने का कार्य अभी वर्तमान यानी आज तक तो जारी है।
दो काव्य संग्रह
'प्रेम अवतरण' और 'शेफाली'
प्रकाशित हो चुके है, तीसरे की तैयारियां है
सोशल मीडिया पर सभी मित्र मुझसे प्यार करते हैं मैं भी सभी से प्यार करता हूँ
कभी कभी गुस्सा हो जाता हूँ और चिड़चिड़ा भी
आकाशवाणी जलन्धर से एवम विभिन्न मंचो से काव्य पाठ।
पंजाब केसरी, दैनिक जागरण, मेरी सहेली और रेलवे की हिंदी पत्रिका में नियमित कविताये कहानी संस्मरण प्रकाशित।
काव्यांचल समूह द्वारा गुरु द्रोण सम्मान। पाठशाला काव्यगुंजन द्वारा माह के उत्कृष्ट रचनाकार का सम्मान।
प्रिय कवि मैथिलीशरण गुप्त, निराला जी, महादेवी वर्मा, सुमित्रानन्दन पन्त।
मुंशी प्रेम चन्द, अमृता प्रीतम, खुशवंत सिंह, भीष्म साहनी, शरतचन्द्र, आचार्य चतुरसेन, और भी बहुत सारे लेखकों को बहुत पढ़ा है।
महाभारत, रामायण, गीता, पुराण, उपनिषद, कुरान, बाईबल, सभी को जम कर पढा है।
और स्वभाव बड़ा नरम है, थोड़ा नीम थोड़ी मिश्री, कभी खुद को बड़ा नही मानता पता नही क्या बात है घमण्ड नही कर पाता किसी भी उपलब्धि पर, ये लगता है कि नहीं; मैं इसके काबिल नही हूँ।
aksharvanikavyamanjari #rameshvinodi | रमेशचन्द्र 'विनोदी' |Poetry|Hindi Poetry|Live- 71
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