परिचय स्व.
माया अग्रवाल जी
ठेठ
में ठाठ प्रतीकों के व्यक्तित्व की कुशल और समग्र रचनाकारा किसी के मन में गुरु माँ , तो
किसी के मन में माँ , बड़ी बहन या नानी तक के रिश्ते साहित्य जगत में अपनी रचनाओं
के माध्यम से बनाने वाली कवयित्री स्व. माया अग्रवाल जी की माता का नाम स्व० सावित्री देवी तथा पिता का नाम
स्व० टेकचंद अग्रवाल तथा पति का नाम स्व०
चमन लाल अग्रवाल था आपकी जन्म तिथि
07 - 01 – 1952 थी; आपका साहित्यिक परिवार बढ़ ही रहा था कि अचानक
काल का यह अच्छा नहीं लग रहा था और कॉरोना की भीषण बीमारी से आप श्री नारायण के
धाम प्रस्थान कर गयीं और आपने परिजनों अकेला छोड़ दिया; आप एक कुशल गृहिणी भी थीं
आपको तीन संतान रत्न प्राप्त हुए– पुत्र आशीष अग्रवाल जी, पुत्रियाँ – ममता अग्रवाल
जी तथा मुक्त अग्रवाल जी हैं।
आपकी प्रकाशित
कृतियाँ-ग़ज़ल साझा संग्रह "अंजुमन",
हाल ही में प्रकाशित पुस्तक "वीथियाँ गीतों की" ने आपको एक नयी पहचान दी , पत्र पत्रिकाओं में
प्रकाशन, साप्ताहिक " साहित्य तरकश" , "उत्कर्ष
ऐक्सप्रैस" , शेषामृत पत्रिका , "खिली धूप हैं हम" पत्रिका , 'उर्मिला-विरह' नामक खंड काव्य पर आप कार्य कर रहीं थी जो कि पूरा हो चूका था प्रकाशन शेष रह गया।
सम्मान
व उपलब्धियाँ -- "साहित्य सागर रत्न सम्मान" , "काव्य गौरव
सम्मान" , "गुरु द्रोण सम्मान" , प्रयास सरला नारायण ट्र्स्ट में सर्व श्रेष्ठ गीत के लिए प्रशस्ति पत्र
डा० विष्णु सक्सेना के द्वारा, "राष्ट्रीय कवयित्री
मंच" के आयोजन में प्रथम पुरस्कार के तहत "प्रशस्ति पत्र व ट्रॉफी"
से सम्मानित डॉ० विष्णु सक्सेना द्वारा चलाए जा रहे प्रयास (गीतों की प्रतियोगिता)
नामक आयोजन जो कि राष्ट्रीय स्तर पर होता है , सितंबर 2019
की विजेता बन चुकी हूँ तथा उत्तर प्रदेश के सिकन्दराराऊ में मुझे
विष्णु सक्सेना द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है, संस्कृत भाषा के एकलौते
समाचार पत्र के काव्य-मंजरी पृष्ठ के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में आपकी रचनाधर्मिता को अक्षरवाणी गार्गी सम्मान से भी सम्मानित
किया गया था
अक्षरवाणी साप्ताहिक संस्कृत समाचार पत्र को आपके अंतिम समय में बहुत स्नेह मिला इस हेतु समाचार पत्र आपके सम्मान में ‘स्व. माया अग्रवाल स्मृति सम्मान’ रखने की घोषणा कर चुकें हैं।
बहुत खूब।मुझे ज्ञात ही न था दी के नाम से सम्मान की घोषणा का।बधाई
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